लड़कियां
लड़कियां ही माँ बन जाती हैं
फिर वो ही लड़के की चाह करती हैं
अपने बचपन के दिन भुलाकर
और एक लड़के की माँ बन्ने की
मन में आशा सजाती हैं
लड़कियां चाहें कैसी भी हों
पर उन्हें पराया ही बताती हैं
जब लड़कियां ऐसा ही कर जाती हैं
तो दुनियां बिगड़ जाती है
अद्कियाँ कुक्ष समझ नहीं पाती हैं
क्यों ऐसा कर जाती है
लोगों के सहारे पल -बढ़ कर
एक लता बनकर रह जाती है
अपने सुखद जीवन को आकांक्षा से भिगोकर
अपने पलकों को भी नम बनाये रखती हैं
इस तरह लड़कियों की जिंदगी
कुछ ही दूरी में सिमट कर रह जाती है
फिर तो दुनिया उन्हें समेटते ही जाती है
लड़कियां कुछ इसी मिजाज की रह जाती है
जो अपने जीवन को संवार नहीं पाती है
अन्तिमा मिश्रा
लड़कियां ही माँ बन जाती हैं
फिर वो ही लड़के की चाह करती हैं
अपने बचपन के दिन भुलाकर
और एक लड़के की माँ बन्ने की
मन में आशा सजाती हैं
लड़कियां चाहें कैसी भी हों
पर उन्हें पराया ही बताती हैं
जब लड़कियां ऐसा ही कर जाती हैं
तो दुनियां बिगड़ जाती है
अद्कियाँ कुक्ष समझ नहीं पाती हैं
क्यों ऐसा कर जाती है
लोगों के सहारे पल -बढ़ कर
एक लता बनकर रह जाती है
अपने सुखद जीवन को आकांक्षा से भिगोकर
अपने पलकों को भी नम बनाये रखती हैं
इस तरह लड़कियों की जिंदगी
कुछ ही दूरी में सिमट कर रह जाती है
फिर तो दुनिया उन्हें समेटते ही जाती है
लड़कियां कुछ इसी मिजाज की रह जाती है
जो अपने जीवन को संवार नहीं पाती है
अन्तिमा मिश्रा