Wednesday 25 May 2011

लड़कियां

लड़कियां
लड़कियां ही माँ बन जाती हैं
फिर वो ही लड़के की चाह करती हैं
अपने बचपन के दिन भुलाकर
और एक लड़के की माँ बन्ने की
मन में आशा सजाती हैं
लड़कियां चाहें कैसी भी हों
पर उन्हें पराया ही बताती हैं
जब लड़कियां ऐसा ही कर जाती हैं
तो दुनियां बिगड़ जाती है
अद्कियाँ कुक्ष समझ नहीं पाती हैं
क्यों ऐसा कर जाती है
लोगों के सहारे पल -बढ़ कर
एक लता बनकर रह जाती है
अपने सुखद जीवन को आकांक्षा से भिगोकर
अपने पलकों को भी नम बनाये रखती हैं
इस तरह लड़कियों की जिंदगी
कुछ ही दूरी में सिमट कर रह जाती है
फिर तो दुनिया उन्हें समेटते ही जाती है
लड़कियां कुछ  इसी मिजाज की रह जाती है
जो अपने जीवन को संवार नहीं पाती है


अन्तिमा मिश्रा

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